जब सोच थके, और मन घबराए,
दिल में लगने लगे जो डर,
कुछ कर कुछ कर कुछ कर कुछ कर।
आसमान काला पड़ जाए,
पंख थके, लंबी हो डगर,
कुछ कर कुछ कर कुछ कर कुछ कर।
पानी जब गहराता जाए, दम घुटे,
डूबे जब सर,
कुछ कर कुछ कर कुछ कर कुछ कर।
कुछ ना करके कभी कुछ हुआ नहीं,
कुछ ना करके कभी कुछ होगा नहीं,
कुछ ना करने की मन में आने लगे अगर,
कुछ कर कुछ कर कुछ कर कुछ कर।