Thursday, December 17, 2020

kal fir man ko kuch ghutan si mehsoos hui कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,

कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई, 


कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई, 

तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।  

कुछ राहत तो मिली मन को, 

जब मैं बादलों के टुकड़ो पर चढ़ता गया। 

कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई, 

तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।  


यूँ तो , सोचते सोचते करने की आदत छूट गयी थी, 

और करते करते सोचने की, 

यूँ तो , सुनते सुनते करने की आदत छूट गयी थी, 

और करते करते सोचने की, 

आज सोच भी लिया और करता भी गया। 

कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई, 

तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।  


अक्सर सुन सुन के खुद को रोक लेता हूँ मैं,

और कहते  कहते खुद ही रुक  जाता हूँ मैं।  

आज चल भी दिया, और कह भी गया।  

कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई, 

तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।  

   

Monday, November 16, 2020

mere school ka bachpan


वो हर बात पर ताली मारना, वो  हर बात पर लग जाना गले,

थोड़ा इठलाता, थोड़ा खिलखिलाता वो खुशनुमा माहौल कहाँ खो गया ,

मेरे स्कूल का वो प्यारा सा बचपन जाने कहा खो गया।    


थोड़ी  शरारते , थोड़ी पढाई , वो बेतक्कलुफी  का वक्त जाने कहा सो गया,

वो होमवर्क न करने पर बनाये रुहासे बहानो को जाने क्या हो गया,

मेरे स्कूल का वो प्यारा सा बचपन जाने कहा खो गया ।  


वो छोटी सी ऊँगली से कट्टी , वो फिर से दोस्ती कराता अंगूठा अब क्यों जुदा हो गया,

वो हफ्ते में मिली एक छुट्टी, वो मस्ती भरा पल, याद कर के दिल आज फिर रो गया,

मेरे स्कूल का वो प्यारा सा बचपन जाने कहा खो गया।    


वो चोरी छिपे एक दुसरे का टीफिन खा जाना, जाने क्यों लापता हो गया, 

वो टीचर की डांट से  बचाने वाला दोस्त आज कहा सो गया,

मेरे स्कूल का वो प्यारा सा बचपन जाने कहा खो गया।    


फिर एक दिन हम साथ खेलेंगे सभी, 

फिर मिल के हम  कैंटीन से समोसे लेंगे कभी,

मेरे स्कूल तेरे बचपन का वादा यह पक्का हो गया 

फिर गूंजेंगा वही शोर तेरे आँगन में, जो फिलहाल है कही खो गया।  
 

Kyon?


जब मैंने बारिश की बूँद को सागर में डूबते देखा ,

तो पूछा क्यों?

जब मैंने एक पक्षी को ओस की बूँद को पीते देखा,

तो पूछा क्यों?

जब मैंने सूरज की तपिश को चांदनी में बदलते देखा 

तो पूछा क्यों ?

और, 

 जब मैंने कली को फूल में बदलते देखा,

तो पूछा क्यों?

... सबका एक ही जवाब था... 

हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने  से किसी किसी और को जीवन मिलता है।  

बूँद ने कहा, मैं हिलती हूँ तो सागर चलता है।  

ओस ने कहा की पक्षी मुझे पीता है, तभी तो जीता है।  

सूरज  ने कहा की मैं जाता हूँ , तभी तो चाँद को रास्ता मिलता है।  

और

कली ने कहा की मैं खुलती हूँ तभी तो फूल खिलता है।  

हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने  से किसी किसी और को जीवन मिलता है।  


-- समर्पित - महृषि दधीचि को, जिन्होंने हमें खुद के अस्तित्व को खो कर किसी और को जीवन देने की प्रेरणा दी।  

Saturday, August 8, 2020

Just do it...Trust Yourself.

When the Cause is Bigger than Self,

and the Team Should not Lose, 

When You have to stretch Your Limits,

and You should not find an Excuse,

Just Do It...

 

 

When Life hurls questions at You 

and that too without Clues,

When you know you have to figure it out,

coz Heroes don't Refuse,

Just Do It…

 

 

When the time is running out,

and there's no option to snooze,

When the situation is like a ticking bomb,

which some one has to just defuse,

Just Do it...

 

 

When instead of Praises, You just get Abuse,

And someone’s almost got your fuse,

When you know that Anger is not the solution,

and being calm will change their views,

Just do it…

Thursday, June 11, 2020

क्या कुछ ऐसा अलग कर जाऊं

क्या कुछ ऐसा अलग कर जाऊं,
की मैं, मैं न रहूं, कोई और हो जाऊं।
की मुझको तो कोई जानता ही नहीं ,
शायद कोई और बन के ही किसी की यादों में समाऊं। 

 कुछ भी करूँ और सबको खुश करूँ,
चाहे उसके लिए खुद ही रोज़ मरुँ। 
सब के लिए मैं सब कुछ बनूँ  , 
बस जो मैं हूँ, वो ही न रहूँ। 

 जब मन को टटोला अपने , तो एक आवाज़ आयी, 
क्यों कोई और बन जाऊं , क्यों  कोई और बन के किसी को याद आऊं। 
 एक बार अपने आप को... अपने नाम  को जी तो सही, 
अरे तुझे कोई जानेगा कैसे ...
तू खुद तो कभी खुद बन के रहा नहीं। 

खुश हूँ की अब मैं ही हो गया हूँ  मैं,
मस्त हो के अपनी ही रंगत में खो गया हूँ मैं । 
कुछ चाहने वाले  कम जरूर हुए होंगे , 
गिनती के ही सही, अपनों की ही संगत में हो गया हूँ मैं.....