कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,
कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,
तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।
कुछ राहत तो मिली मन को,
जब मैं बादलों के टुकड़ो पर चढ़ता गया।
कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,
तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।
यूँ तो , सोचते सोचते करने की आदत छूट गयी थी,
और करते करते सोचने की,
यूँ तो , सुनते सुनते करने की आदत छूट गयी थी,
और करते करते सोचने की,
आज सोच भी लिया और करता भी गया।
कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,
तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।
अक्सर सुन सुन के खुद को रोक लेता हूँ मैं,
और कहते कहते खुद ही रुक जाता हूँ मैं।
आज चल भी दिया, और कह भी गया।
कल फिर मन को कुछ घुटन सी हुई,
तो आज मैं फिर आसमा नापने निकल गया।
3 comments:
very nice!!
Most proud of you Mama! Aaj phir ek baat aapne Sama baandh diya!
Thank you
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