Monday, November 16, 2020

Kyon?


जब मैंने बारिश की बूँद को सागर में डूबते देखा ,

तो पूछा क्यों?

जब मैंने एक पक्षी को ओस की बूँद को पीते देखा,

तो पूछा क्यों?

जब मैंने सूरज की तपिश को चांदनी में बदलते देखा 

तो पूछा क्यों ?

और, 

 जब मैंने कली को फूल में बदलते देखा,

तो पूछा क्यों?

... सबका एक ही जवाब था... 

हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने  से किसी किसी और को जीवन मिलता है।  

बूँद ने कहा, मैं हिलती हूँ तो सागर चलता है।  

ओस ने कहा की पक्षी मुझे पीता है, तभी तो जीता है।  

सूरज  ने कहा की मैं जाता हूँ , तभी तो चाँद को रास्ता मिलता है।  

और

कली ने कहा की मैं खुलती हूँ तभी तो फूल खिलता है।  

हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने  से किसी किसी और को जीवन मिलता है।  


-- समर्पित - महृषि दधीचि को, जिन्होंने हमें खुद के अस्तित्व को खो कर किसी और को जीवन देने की प्रेरणा दी।  

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