जब मैंने बारिश की बूँद को सागर में डूबते देखा ,
तो पूछा क्यों?
जब मैंने एक पक्षी को ओस की बूँद को पीते देखा,
तो पूछा क्यों?
जब मैंने सूरज की तपिश को चांदनी में बदलते देखा
तो पूछा क्यों ?
और,
जब मैंने कली को फूल में बदलते देखा,
तो पूछा क्यों?
... सबका एक ही जवाब था...
हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने से किसी किसी और को जीवन मिलता है।
बूँद ने कहा, मैं हिलती हूँ तो सागर चलता है।
ओस ने कहा की पक्षी मुझे पीता है, तभी तो जीता है।
सूरज ने कहा की मैं जाता हूँ , तभी तो चाँद को रास्ता मिलता है।
और
कली ने कहा की मैं खुलती हूँ तभी तो फूल खिलता है।
हमारे होने से हमारा अस्तित्व है, पर हमारे खोने से किसी किसी और को जीवन मिलता है।
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