जो चोखट बुलंद थी कल तक,
वो आज मिटियों के सरकने से हिल सी रही है।
तेरे सपनो को रूप मिल सके, इस लिए वो पुरानी मूरत मिट्टी में मिल सी रही है।
तेरी आंखों पे कुछ सपने सजाए थे कभी,
तेरी आंखों पे कुछ सपने सजाए थे कभी,
उनकी आवाज़ तुझे न आए इस लिए अपने होठ वो सिल सी रही है,
जो चोखट बुलंद थी कल तक,
वो आज मिटियों के सरकने से हिल सी रही है।
तेरे जाने से वो है तो उदास,
तेरे जाने से वो है तो उदास,
बस तुझे दिखाने के लिए वो आंखे खिल सी रही है,
जो चोखट बुलंद थी कल तक,
वो आज मिटियों के सरकने से हिल सी रही है।
सोच ले एक बार फिर से अपने जाने के फैसले को,
सोच ले एक बार फिर से अपने जाने के फैसले को,
बुत सी हो जायेगी उनकी हालत तेरे जाने से,
की जिनकी जिंदगी में तेरी जगह धड़कते दिल सी रही है,
जो चोखट बुलंद थी कल तक,
वो आज मिटियों के सरकने से हिल सी रही है।