आप सिर्फ गुरु नहीं गुरूर है मेरे,
कामयाबियों की मदहोशी के सुरूर है मेरे,
आप नहीं सिखाते तो मैं क्या करता,
ज़िन्दगी की उलझनों से बस डरता रहता।
आप सिर्फ गुरु नहीं आत्मविश्वास है मेरे,
मैं निरंतर बढ़ता हूं क्यों आप आस पास है मेरे,
आपके विश्वास से ही जीतता हूं मैं,
आप ही तैयारी और आप ही आगाज़ है मेरे।
आप सिर्फ गुरु नहीं मित्र है मेरे,
जिससे लोग जानते हैं मुझे, वह चरित्र है मेरे,
कभी चांद की शीतलता कभी सूर्यांका ताप हैं आप
मैं अर्जुन तभी हूं, जब मेरे द्रोण है आप।
आप ही के आशीर्वाद से खास बना मैं , यू तो मैं बस था आम,
हे मेरे गुरु आपको मेरा बारंबार प्रणाम।
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