माँ, ऎसी क्यों है तू,
माँ, ऎसी क्यों है तू,
मैं हसता हूँ.. हसती है तू
मैं रोता हूँ। ... रोती है तू ,
मैं सोता हूँ... सोती है तू...
जगता मैं हूँ... थकती है तू
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू
मुझको पूरा खाना देती ,खुद भूखी ही रहती है तू,
अपनी प्यास को भूल भुला कर,, मुझको पानी देती है तू ,
खुद पर जितने भी दुःख आये , मुझको सुख ही देती है तू ,
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू...
जब भी कही अँधेरे होते, मेरा सूरज होती है तू ,
मेरे सपने तेरा सच है, मेरा एक कवच है बस तू ,
बाकि सब कुछ झूठ है मेरा , मेरा एक ही सच है बस तू.
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू
माँ, ऎसी क्यों है तू,
मैं रोता हूँ। ... रोती है तू ,
मैं सोता हूँ... सोती है तू...
जगता मैं हूँ... थकती है तू
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू
मुझको पूरा खाना देती ,खुद भूखी ही रहती है तू,
अपनी प्यास को भूल भुला कर,, मुझको पानी देती है तू ,
खुद पर जितने भी दुःख आये , मुझको सुख ही देती है तू ,
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू...
जब भी कही अँधेरे होते, मेरा सूरज होती है तू ,
मेरे सपने तेरा सच है, मेरा एक कवच है बस तू ,
बाकि सब कुछ झूठ है मेरा , मेरा एक ही सच है बस तू.
माँ। .. माँ...ऐसी क्यों है तू
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